Thursday, December 5, 2024


मँझधार से बचने के सहारे नहीं होते,

दुर्दिन नें कभी चाँद सितारे नहीं होते,

हम पार भी जायें तो भला किधर से,

इस प्रेम की सरिता के किनारे नहीं होते।


            उदयभानु हंस 

No comments:

Post a Comment